Ramkatha - Hindi

Ramkatha - Hindi

राम कथा अनंत है और जीवन के हर पहलू को छूती है। तुलसीदास जी ने माता सीता की वंदना की और राम के चरणों की महिमा गाई। महर्षि भरद्वाज ने राम के ब्रह्म स्वरूप पर प्रश्न किया, जिसे शिव ने स्पष्ट किया। सती के आत्मदाह, शिव-पार्वती विवाह, और राम अवतार के रहस्यों का वर्णन है।राम जन्म से लेकर वनवास तक की घटनाएँ, केवट, शबरी, हनुमान की भक्ति और सुग्रीव-मित्रता की कथा है। लंका विजय में राम की सेना, विभीषण की शरणागति, और रावण-वध का विस्तार से उल्लेख है।राम कथा में भक्ति, प्रेम, और धर्म की पराकाष्ठा है। राम के अयोध्या लौटने के साथ यह कथा समाप्त नहीं होती, बल्कि हर युग में नया अर्थ देती है। यह जीवन को सही दिशा देने वाली कथा है, जो भक्तों के हृदय को शुद्ध करती है।

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Ramkatha - Hindi
  • Ram Katha - Part 1 - Why is Ramayan called Ramcharitmanas

    राम चरित मानस एक अनंत कथा है, जो कभी समाप्त नहीं होती। इसे साहित्यकार विभिन्न वारताओं के माध्यम से समझाते हैं, लेकिन ये वारताएं कथा का अंत नहीं दर्शातीं। तुलसीदास जी ने इसे विक्रम संवत 1631 में प्रारंभ किया, लेकिन समाप्ति का उल्लेख नहीं किया। इसे कल्पवृक्ष के समान बताया गया है, जिसमें सात कांड है...

  • Ram Katha - Part 2 - भक्ति में संशय Doubt in Devotion

    तुलसीदास जी माता सीता की वंदना करते हैं और बताते हैं कि माता के बिना पिता नहीं मिल सकते। वे श्रीराम के चरणों की महिमा गाते हैं और बताते हैं कि हर कोई, चाहे वानर हो या ऋषि-मुनि, उनके चरणों तक पहुंच सकता है। महर्षि भरद्वाज ने याज्ञवल्क्य से पूछा कि क्या दशरथ कुमार राम और अनंत ब्रह्मा राम एक ही हैं।...

  • Ram Katha - Part 3 - शिव सती को राम दर्शन Shiv Sati have Darshan of Lord Ram

    भरतवाज ने राम की पहचान पर संदेह किया, जिसे याज्ञवल्क्य ने सही बताया कि यह लोकहित के लिए था। शिव और सती ने भी राम की पहचान पर शंका की। सती ने सीता का रूप धरकर राम की परीक्षा ली, लेकिन राम ने सती को मां कहकर पहचाना। शिव ने राम को सच्चिदानंद कहा, जिससे सती को समझ आया कि राम ब्रह्म हैं, और सती ने भ्र...

  • Ram Katha - Part 4 -शिव को विश्वनाथ क्यो कहते हैं Why is Shiv called Vishwanath

    यह कथा सती के अपमान और उसके आत्मदाह की है, जब दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया। सती अपने पिता के यज्ञ में शिव के प्रति अपमान सहन नहीं कर सकीं और खुद को भस्म कर लिया। शिव को यह जानकर बहुत क्रोध आया, उन्होंने वीरभद्र को भेजा, जिसने यज्ञ नष्ट कर दिया और दक्ष का सिर काट लिया। बाद में शिव ने दक्ष को बक...

  • Ram Katha - Part 5 - The Consequence of Doubt in Devotion

    पार्वती, हिमवान और मैनह की पुत्री, जब पांच वर्ष की थी तब नारद जी ने उसके भाग्य के बारे में बताया। नारद जी ने कहा कि पार्वती की पूजा अनेक मंदिरों में होगी, लेकिन उसके पति के पास कुछ भी नहीं होगा। पार्वती ने तपस्या की और शिव जी से विवाह किया। शिव और पार्वती का विवाह हुआ, लेकिन पार्वती ने राम के प्र...

  • Ram Katha - Part 6 - राम अवतार का रहस्य Secret of Lord Ram descension

    याज्यवल्क्य भरतवाज से कहते हैं कि शिव कथा राम कथा का प्रवेश द्वार है। एक महात्मा की कहानी में बताया जाता है कि शिव कथा राम कथा से पहले सुनाई जाती है। पार्वती की शंका को दूर करने के लिए शिव जी ने राम कथा सुनाई। शंकर जी ने बताया कि भगवान की लीला में अज्ञान का कोई स्थान नहीं है, और वह सभी विरोधी गुण...

  • Ram Katha - Part 7 - राम मनुष्य रूप में क्यो आये Why Did Ram Take Human Form

    भगवान सर्वव्यापक होते हुए भी विशेष रूप से लीला में एक अद्वितीय रूप में प्रकट होते हैं। उनकी लीला, जो एक्टिंग की तरह होती है, हमारे समझने के लिए होती है। जैसे रामलीला में पात्र अभिनय करते हैं, भगवान भी संसार में विशेष रूप से दिखते हैं। उनका ऐसा करना जीवों के कल्याण के लिए है ताकि लोग उनकी भक्ति कर...

  • Ram Katha - Part 8 - रावण कौन था Who was Ravan

    भगवान शंकर जी बताते हैं कि भगवान श्रीराम के अवतार के कई कारण हैं। राक्षसों को मारने के लिए नहीं, क्योंकि यह काम अकेले लक्ष्मण भी कर सकते हैं। भगवान का अवतार जीवों के कल्याण के लिए होता है। उदाहरण स्वरूप, जालंधर के खिलाफ भगवान ने छल किया, नारद जी को श्राप मिला, और मनु-शतरूपा के लिए भगवान ने दशरथ-क...

  • Ram Katha - Part 9 - भगवान को कैसे जाने How to know God

    रावण ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करने के बाद लंका को अपनी राजधानी बनाया और वहां यक्ष को निकाल दिया। उसने देवताओं को परेशान किया, यज्ञों को नष्ट किया और पृथ्वी देवी को कांपने पर मजबूर कर दिया। देवताओं ने भगवान से प्रार्थना की। भगवान ने उन्हें आश्वस्त किया और देवताओं को वानर रूप में अवतार की लील...

  • Ram Katha - Part 10 - भक्ति में आगे कैसे बढ़े How to Progress in Devotion

    भगवान अपने चतुर्भुज स्वरूप में कौशल्या के सामने प्रकट हुए, जिससे कौशल्या ने उन्हें पहचान लिया। भगवान ने कौशल्या को समझाया कि वह उनके बेटे हैं और उनकी दिव्य लीला के बारे में बताया। भगवान ने चतुर्भुज स्वरूप से बालक रूप लिया और कौशल्या ने उन्हें बच्चे के रूप में स्वीकारा। भगवान ने रोते हुए अपनी लीला...

  • Ram Katha - Part 11 - मन पर विजय Winning Over the Mind

    शंकराचार्य ने लक्ष्मण जी को लक्षणों की खान बताया। सूर्य देवता भगवान राम के दर्शन के लिए एक दिन लंबा हुआ। शंकर जी और काग बुशुंडी ने अयोध्या में भगवान राम को देखने के लिए प्रयास किया। शंकर जी ने भगवान राम को अपनी गोद में लिया और उनके लिए भविष्यवाणी की कि वे यशस्वी होंगे, मन्दिरों में पूजा जाएंगे, औ...

  • Ram Katha - Part 12 - ब्रह्मऋषि विश्वामित्र Story of Sage Vishwamitra

    भगवान राम ने माता कौशल्या को भ्रमित किया और अपनी दिव्य लीला दिखाकर उसे समझाया कि वह स्वयं भगवान हैं। कौशल्या ने भगवान की पूजा की और उनके विराट रूप को देखा, जिससे उसकी आंखें खुल गईं। भगवान राम ने अपनी योगमाया से सबको प्रभावित किया और फिर से कौशल्या को सामान्य स्थिति में लौटा दिया। राम और लक्ष्मण न...

  • Ram Katha - Part 13 - अहिल्या उद्धार Ahilya Uddhar

    विश्वा मित्र जी ने ताड़का को मारकर अपनी दिव्यता को प्रकट किया। राम ने अहिल्या को पथ्थर से मुक्त कर उसे सम्मान प्रदान किया। यज्ञ की रक्षा के दौरान राम और लक्ष्मण ने मारीच और सुबाहु को हराया। राजा जनक ने राम और लक्ष्मण को देखकर उन्हें ब्रह्मा मान लिया। यह अनुभव राजा जनक को ज्ञान और प्रेम की गहराई क...

  • Ram Katha - Part 14 - भक्ति रस का महात्म्य Importance of Bhakti Ras

    ज्ञानी लोग अक्सर भक्ती को कम बुद्धि वालों के लिए मानते हैं, लेकिन रामायण दिखाती है कि राजा जनक जैसे ज्ञानी, जिन्होंने निराकार ब्रह्म को प्राप्त किया था, जब साकार भगवान के रस का अनुभव किया तो वे भी उसमें डूब गए। साकार भगवान का प्रेम रस निराकार ब्रह्म आनंद से कहीं अधिक मधुर और आनंददायक होता है। इस ...

  • Ram Katha - Part 15 - राम सीता प्रथम मिलन First Meeting of Ram Sita

    रावण की अशोक वाटिका और राजा जनक की पुष्प वाटिका में सीता जी ने भिन्न अनुभव किए। राम और लक्ष्मण ने पुष्प तोड़ने की अनुमति मांगी और सीता जी ने राम को देखा। धनुष यज्ञ के दिन, सीता ने पार्वती जी से प्रार्थना की कि राम ही उनके पति बनें। यज्ञ में कोई धनुष नहीं तोड़ पाया, राजा जनक ने गुस्से में आकर कहा ...

  • Ram Katha - Part 16 - सीता स्वयंवर Sita Swayamvar

    भगवान राम ने धनुष को तोड़कर सभा में हाहाकार मचा दिया। राजा जनक और सभी दर्शक हैरान रह गए। सीता जी ने भगवान राम को माला डालने के लिए बुलाया। राम ने विनम्रता दिखाते हुए सिर झुका दिया, जिससे सीता जी को यह सिखाना था कि जो व्यक्ति धनुष तोड़ सकता है, वह विनम्रता से सिर झुका सकता है। लक्ष्मण ने पृभूमि को...

  • Ram Katha - Part 17 - राम परशुराम संवाद Ram Parshuram Samvad

    शिव धनुष टूटने की आवाज पर्शुराम जी तक पहुंची, जिनके पास विश्णु धनुष था। पर्शुराम जी क्रोधित होकर आए और राम की पहचान की। राम ने शांति से पर्शुराम जी को जवाब दिया, जिसमें लक्ष्मण ने भी हस्तक्षेप किया। राम के वक्ष स्थल पर श्रीवत्स चिन देखकर पर्शुराम जी ने राम की दिव्यता को समझा और श्रद्धा भाव से उनक...

  • Ram Katha - Part 18 - राम सीता विवाह Ram Sita Vivah

    राजा जनक ने मिथिला से अयोध्या दूत भेजे। दूतों ने बताया कि राम ने कठिनाइयाँ पार कीं और धनुष तोड़ा, जिससे सीता से विवाह तय हुआ। दशरथ जी ने राजा जनक को आश्वस्त किया और बारात सजाई। राजा जनक ने सीता के वियोग में आंसू बहाए। दशरथ जी ने बुढ़ापे का संकेत पाकर राम को राजा बनाने का निर्णय लिया। वसिष्ठ जी ने...

  • Ram Katha- Part 19 - कुसंग का प्रभाव Impact of Bad Association

    दशरथ ने राम का राज्याभिषेक तय किया, लेकिन मंथरा ने कैकई को भड़काया। कैकई ने दो वरदान मांगे: भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्षों के लिए वनवास। दशरथ को यह सुनकर बड़ा धक्का लगा, लेकिन राम ने इसे स्वीकार कर लिया। राम ने कहा कि वनवास एक अवसर है, जिसमें वह मुनियों का संग करेंगे। दशरथ दुखी थे, लेकिन राम...

  • Ram Katha - Part 20 - श्रीराम वनवास Lord Ram's Exile

    राम ने माँ कौशल्या को बताया कि राज्य भरत को मिला और उसे वनवास जाना है। कौशल्या ने कहा कि वह भी साथ चलेंगी। सीता ने भी राम के साथ जाने की इच्छा जताई। लक्ष्मण ने पिता और माता के रूप में राम को अपने आदर्श मानते हुए साथ चलने की अनुमति मांगी। सुमित्रा और उर्मिला ने भी लक्ष्मण की इच्छा को समर्थन दिया। ...

  • Ram Katha - Part 21 - सुख दुःख का कारण Cause of Joy and Sorrow

    लक्ष्मण जी ने गुह को समझाया कि सुख और दुख स्वप्न जैसे होते हैं; सब बदलते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कैकई और मंथरा का दोष नहीं है, यह भगवान की लीला है। जीवन में सुख और दुख अस्थायी हैं, जैसे स्वप्न में होती हैं। नारद जी की कथा से समझाया कि कैसे गृहस्थी में फंसकर आदमी सुख-दुख का अनुभव करता है। लक्ष...

  • Ram Katha - Part 22 - केवट प्रसंग Story of Kevat

    राम और लक्ष्मण नदी पार करने के लिए केवट के पास गए। केवट ने राम से कहा कि वे चरण धोकर उसकी नाव पर चढ़ें, क्योंकि वह भगवान की माया से डरता था। केवट ने बताया कि उसकी नाव पत्थर की तरह नहीं बन जाएगी, इसलिए वह चरण धोना चाहता था। राम ने उसकी बात मानी और केवट ने चरण धोकर उन्हें पार किया। केवट ने चरणामृत ...

  • Ram Katha - Part 23 - राम को कौन जान सकता है Who can know Ram

    राम और लक्ष्मण ने केवट से गंगा पार की। केवट ने पार देने पर पुरस्कार स्वीकार करने से मना किया और कहा कि जब वह मरेगा, तो भगवान उसे भवसागर पार कराएं। भगवान ने प्रयाग पहुंचकर महर्षि भरद्वाज से मार्ग पूछा, फिर वाल्मीकि जी के आश्रम पहुंचे। वाल्मीकि जी ने राम को बताया कि वे हर जगह हैं और चित्रकूट में रह...

  • Ram Katha - Part 24 - दशरथ सुमंत संवाद Dasarath Sumant Conversation

    चित्रकूट में राम, सीता और लक्ष्मण निवास करने लगे। राम ने गुह को वापस भेजा। तुलसीदास जी आयोध्या के शोकपूर्ण दृश्य का वर्णन करते हैं। सुमंत्र जब लौटे, तो आयोध्या में दशरथ और कौशल्या का शोक देखकर भावुक हो गए। दशरथ ने जीवन समाप्त करने की ठानी, जबकि कौशल्या ने धैर्य रखने की सलाह दी। दशरथ ने राम के बिन...