Ram Katha - Part 21 - सुख दुःख का कारण Cause of Joy and Sorrow
Ramkatha - Hindi
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लक्ष्मण जी ने गुह को समझाया कि सुख और दुख स्वप्न जैसे होते हैं; सब बदलते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कैकई और मंथरा का दोष नहीं है, यह भगवान की लीला है। जीवन में सुख और दुख अस्थायी हैं, जैसे स्वप्न में होती हैं। नारद जी की कथा से समझाया कि कैसे गृहस्थी में फंसकर आदमी सुख-दुख का अनुभव करता है। लक्ष्मण जी ने उपदेश दिया कि स्वप्न की तरह जीवन के सुख-दुख को समझना और उससे ऊपर उठना चाहिए।
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