Taittiriya Upanishad Part 5
Taittiriya Upanishad - Hindi
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शास्त्र कहते हैं कि सच्चा निर्धन वह है जिसकी इच्छाएँ और तृष्णाएँ असीमित हैं, जबकि वह व्यक्ति जो कम में भी संतुष्ट रहता है, वह वास्तव में अमीर है। तृष्णा बढ़ने पर व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में भी असंतुष्ट रहता है। उदाहरण के रूप में, राजा होने के बावजूद अगर उसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, तो वह गरीब ही रहता है। संतोष और इच्छाओं की सीमितता ही सच्चा सुख देती हैं। सुख की तलाश बाहरी वस्तुओं में नहीं, भीतर के आनंद में होती है।
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Taittiriya Upanishad Part 7
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