Taittiriya Upanishad Part 8
Taittiriya Upanishad - Hindi
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जैसे भगवत प्राप्ति बिना ज्ञान नहीं होता। शाब्दिक ज्ञान का कोई मतलब नहीं जब तक अनुभवात्मक ज्ञान और वैराज्य न हो। गुरु से ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैराज्य जरूरी है। जैसे वाल्मीकि ने गुरु की आज्ञा का पालन किया, हमें भी गुरु की शरणागत होकर वैराज्य से जीवन जीना होगा। सच्चे गुरु को पहचानने के लिए सही दृष्टिकोण और श्रद्धा चाहिए, न कि बाहरी लक्षणों पर आधारित मापदंड।
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Taittiriya Upanishad Part 9
सच्चे संत और गुरु को पहचानने के लिए केवल बाहरी लक्षण नहीं, बल्कि उनके आंतरिक ज्ञान और प्रभाव पर ध्यान देना चाहिए। असली गुरु वह है जो संसार की बजाय भगवत भक्ति और वैराज्य की दिशा में मार्गदर्शन करता है। चमत्कार दिखाना बाहरी संकेत हो सकता है, लेकिन सच्चा गुरु दिव्य वाणी से शिष्य को बदलता है और उसकी ...
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Taittiriya Upanishad Part 10
व्यक्ति अपने जीवन में किसी अनजानी चीज़ की खोज में भटक रहा है, लेकिन उसे अब तक वह नहीं मिल पाई। यह खोज उसकी आत्मिक प्यास का परिणाम है। वेदों के अनुसार, जो चीज़ वह ढूंढ रहा है, वह उसके अंदर स्थित है, यानी परमात्मा। परमात्मा सर्वव्यापी और नित्य (अनंत) रूप से सभी के भीतर उपस्थित है, लेकिन अज्ञान के क...
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Taittiriya Upanishad Part 11
व्यक्ति संसार के सुखों से तृप्त नहीं होता और आत्मिक संतोष के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की पुनरावृत्ति आवश्यक है। ज्ञान को केवल सुनना ही नहीं, उसे मनन कर आत्मसात करना जरूरी है। ज्यों-ज्यों व्यक्ति इसका अभ्यास करता है, वह संसारिक सुखों की नश्वरता को समझता है और क्रोध, लोभ जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाता ह...