Taittiriya Upanishad Part 11
Taittiriya Upanishad - Hindi
•
21m
व्यक्ति संसार के सुखों से तृप्त नहीं होता और आत्मिक संतोष के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की पुनरावृत्ति आवश्यक है। ज्ञान को केवल सुनना ही नहीं, उसे मनन कर आत्मसात करना जरूरी है। ज्यों-ज्यों व्यक्ति इसका अभ्यास करता है, वह संसारिक सुखों की नश्वरता को समझता है और क्रोध, लोभ जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाता है। सतत ज्ञान के चिंतन से व्यक्ति को सही मार्गदर्शन मिलता है और उसके जीवन में स्थायित्व आता है, जिससे वह गलतियों से बच सकता है और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है।
Up Next in Taittiriya Upanishad - Hindi
-
Taittiriya Upanishad Part 12
भगवान सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हैं, लेकिन हम केवल इसे जानते हैं, मानते नहीं। प्रह्लाद ने भगवान को पूरी तरह माना और हिरण्यकशिपु द्वारा दिए गए सभी कष्टों को भगवान की शक्ति से सहन किया। भगवान हर जगह हैं, चाहे वह किसी वस्तु में हो या व्यक्ति में। विश्वास और ज्ञान से ही हम भगवान को प्राप्त कर सकते ह...
-
Taittiriya Upanishad Part 13
यह व्याख्यान संसार और उसके निर्माण पर केंद्रित है, जिसमें प्राचीन भारतीय ज्ञान और दर्शनशास्त्र का महत्त्व बताया गया है। वक्ता तैत्री उपनिषद की व्याख्या करते हुए श्रवन, मनन, और निधिध्यासन की तीन सीढ़ियों पर चर्चा करते हैं, जो सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनिवार्य हैं। उन्होंने विभिन्न दार्शनिक द...
-
Taittiriya Upanishad Part 14
इस व्याख्यान में बिग बैंग थ्योरी की आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया कि धमाके से संसार का निर्माण असंभव है। न्यूटन की दृष्टि को प्रस्तुत करते हुए यह भी दर्शाया गया कि एक जटिल सौर मंडल का छोटा मॉडल बिना किसी सृजनकर्ता के नहीं बन सकता। विज्ञान और धार्मिक दृष्टिकोण के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए, यह ...