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Taittiriya Upanishad Part 13
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यह व्याख्यान संसार और उसके निर्माण पर केंद्रित है, जिसमें प्राचीन भारतीय ज्ञान और दर्शनशास्त्र का महत्त्व बताया गया है। वक्ता तैत्री उपनिषद की व्याख्या करते हुए श्रवन, मनन, और निधिध्यासन की तीन सीढ़ियों पर चर्चा करते हैं, जो सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनिवार्य हैं। उन्होंने विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोण, जैसे थैल्स, एनेक्जी मांडर, और चार्ल्स डार्विन के विकासवाद पर भी विचार व्यक्त किया है। भारतीय वेदों के अनुसार, संसार का सृजन भगवान के द्वारा हुआ है, और यह प्रक्रिया अटल और सनातन है।