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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 44

Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi • 10m

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    श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि क्रोध और लोभ मन के रोग हैं, लेकिन कामना उससे भी भयानक है। कामनाएं जैसे देखने, सुनने, प्रतिष्ठा की इच्छाएं, मन को भटकाती हैं। क्रोध में व्यक्ति अपनी बुद्धि खो देता है, जबकि लोभ कभी तृप्त नहीं होता। तुलसीदास ने भी रामायण में मानस रोगों का वर्णन किया है। श्री कृष्ण ब...

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    क्रोध, लोभ और कामना मन के रोग हैं। कामना से क्रोध और लोभ उत्पन्न होते हैं। जब कामना पूरी नहीं होती, क्रोध आता है, जिससे बुद्धि नष्ट हो जाती है। कामना पूरी होने पर लोभ बढ़ता है, जिससे शांति नहीं मिलती। श्रीकृष्ण कहते हैं कि शांति कामनाओं के त्याग से मिलती है, न कि उनकी पूर्ति से। कामना वस्तुओं के ...

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    संसार में सुख का चिंतन करने से आसक्ति और कामना उत्पन्न होती हैं, जो क्रोध और लोभ का कारण बनती हैं। श्रीकृष्ण के अनुसार, बार-बार सुख के विचार से मन वस्तु या व्यक्ति से जुड़ता है, जिससे आसक्ति और कामनाएँ बढ़ती हैं। आनंद की इच्छा स्वाभाविक है, परंतु इससे मुक्ति पाने के लिए संसार में सुख का चिंतन त्य...