Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 44
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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एक व्यक्ति ने महात्मा जी से पूछा कि पुरी पहुँचने में कितना समय लगेगा। महात्मा जी ने पहले उत्तर नहीं दिया, लेकिन एक घंटे साथ चलने के बाद कहा कि उसे सात घंटे लगेंगे। उन्होंने बताया कि बिना उसकी गति जाने समय बताना संभव नहीं था। इसी प्रकार, भगवत प्राप्ति का समय भी इस पर निर्भर करता है कि व्यक्ति कितनी भक्ति और ध्यान करता है। कीर्तन, श्रवण और स्मरण जैसे साधनों से साधना की जाती है, जिससे भगवान में मन लगाना धीरे-धीरे संभव हो जाता है।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 45
श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि क्रोध और लोभ मन के रोग हैं, लेकिन कामना उससे भी भयानक है। कामनाएं जैसे देखने, सुनने, प्रतिष्ठा की इच्छाएं, मन को भटकाती हैं। क्रोध में व्यक्ति अपनी बुद्धि खो देता है, जबकि लोभ कभी तृप्त नहीं होता। तुलसीदास ने भी रामायण में मानस रोगों का वर्णन किया है। श्री कृष्ण ब...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 46
क्रोध, लोभ और कामना मन के रोग हैं। कामना से क्रोध और लोभ उत्पन्न होते हैं। जब कामना पूरी नहीं होती, क्रोध आता है, जिससे बुद्धि नष्ट हो जाती है। कामना पूरी होने पर लोभ बढ़ता है, जिससे शांति नहीं मिलती। श्रीकृष्ण कहते हैं कि शांति कामनाओं के त्याग से मिलती है, न कि उनकी पूर्ति से। कामना वस्तुओं के ...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 47
संसार में सुख का चिंतन करने से आसक्ति और कामना उत्पन्न होती हैं, जो क्रोध और लोभ का कारण बनती हैं। श्रीकृष्ण के अनुसार, बार-बार सुख के विचार से मन वस्तु या व्यक्ति से जुड़ता है, जिससे आसक्ति और कामनाएँ बढ़ती हैं। आनंद की इच्छा स्वाभाविक है, परंतु इससे मुक्ति पाने के लिए संसार में सुख का चिंतन त्य...