Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 36
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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भगवान जीव को कर्म करने की शक्ति देता है, लेकिन उसका उपयोग जीव पर छोड़ता है। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि कर्म करो, पर फल की इच्छा मत रखो। कर्म का विज्ञान बताकर वे कहते हैं कि भगवान कर्म का प्रेरक है, पर जिम्मेदारी जीव की है। व्यक्ति को आलसी नहीं बनना चाहिए और अपने कर्मों का अभिमान नहीं करना चाहिए। अंत में, कर्म का फल भगवान को समर्पित कर देना चाहिए। यह विचार मन की शांति और संतोष की ओर ले जाता है।
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भगवान से प्रेम करने वाला सभी धर्मों का पालन कर लेता है। श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा, शास्त्रों में बहुत नियम बताए हैं, लेकिन जो उनके गूढ़ रहस्य समझकर मुझसे प्रेम करता है और फल-आसक्ति छोड़ देता है, वह सबसे श्रेष्ठ साधक है। कर्मकांड के नियमों को कचरे की तरह त्यागने वाला व्यक्ति, जिसने भगवान से संबंध ...
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