Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 24
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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गुस्सा बॉस पर नहीं, बल्कि घर पर निकालते हैं क्योंकि बुद्धि गुस्से को कंट्रोल कर लेती है। बुद्धि शरीर की सेंट्रल गवर्नमेंट है, जो विवेक और संयम से काम करती है। अगर बुद्धि सही निर्णय ले, तो मन नियंत्रित रहता है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही सिखाया कि बुद्धियोग द्वारा कर्म करते समय आसक्ति छोड़कर विवेकपूर्ण निर्णय लेना चाहिए। बुद्धियोग मन को नियंत्रित कर आसक्ति मिटाता है, जिससे कर्म बंधन से मुक्ति मिलती है।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 25
शंकराचार्य ने कहा, मानव शरीर दुर्लभ है। यदि भगवत प्राप्ति नहीं की, तो पुनर्जन्म के चक्र में फंसकर जानवरों का जन्म भी मिल सकता है। 84 लाख योनियों में भटकने से बचने के लिए साधना आवश्यक है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि थोड़ी सी भी साधना महान भय से बचा सकती है और अगला जन्म मानवी हो, इसकी कोई गारंटी ...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 26
भगवान ने हमें केवल एक मन दिया, ताकि हम पूर्ण शरणागति कर सकें। अगर कई मन होते, तो एक मन से दुनियावी चीजों में और एक भगवान की भक्ति में लग जाता। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मन का सही उपयोग बुद्धियोग से होता है, जिससे आसक्ति रहित होकर भगवान की भक्ति की जा सकती है। गोपियों ने भी कहा था, मन एक ही है...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 27
वेद व्यास जी कहते हैं कि संसार के सारे संबंध स्वार्थ पर आधारित होते हैं। हर जीव अपने सुख के लिए प्रेम करता है, चाहे देवता हों, मनुष्य हों या ऋषि। आत्मा का स्वभाव है आनंद की तलाश, और जब तक भगवद् प्राप्ति नहीं होती, हम असली आनंद से वंचित रहते हैं। संसार में सभी संबंध और प्रेम स्वार्थ से प्रेरित होत...