Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 25
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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शंकराचार्य ने कहा, मानव शरीर दुर्लभ है। यदि भगवत प्राप्ति नहीं की, तो पुनर्जन्म के चक्र में फंसकर जानवरों का जन्म भी मिल सकता है। 84 लाख योनियों में भटकने से बचने के लिए साधना आवश्यक है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि थोड़ी सी भी साधना महान भय से बचा सकती है और अगला जन्म मानवी हो, इसकी कोई गारंटी नहीं। इसलिए इस जन्म में भगवत प्राप्ति का प्रयास करो, क्योंकि यह शरीर कर्म और मोक्ष के लिए सर्वोत्तम है।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 26
भगवान ने हमें केवल एक मन दिया, ताकि हम पूर्ण शरणागति कर सकें। अगर कई मन होते, तो एक मन से दुनियावी चीजों में और एक भगवान की भक्ति में लग जाता। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मन का सही उपयोग बुद्धियोग से होता है, जिससे आसक्ति रहित होकर भगवान की भक्ति की जा सकती है। गोपियों ने भी कहा था, मन एक ही है...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 27
वेद व्यास जी कहते हैं कि संसार के सारे संबंध स्वार्थ पर आधारित होते हैं। हर जीव अपने सुख के लिए प्रेम करता है, चाहे देवता हों, मनुष्य हों या ऋषि। आत्मा का स्वभाव है आनंद की तलाश, और जब तक भगवद् प्राप्ति नहीं होती, हम असली आनंद से वंचित रहते हैं। संसार में सभी संबंध और प्रेम स्वार्थ से प्रेरित होत...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 28
यह कहानी जीवन की नश्वरता और आत्मा के शाश्वत सत्य पर केंद्रित है। एक युवक स्वामी जी से संसार की स्वार्थपूर्ण प्रकृति पर सवाल उठाता है। स्वामी जी एक नाटक रचते हैं जहां युवक मृत होने का नाटक करता है, और उसके प्रियजनों से उसकी जगह मरने के लिए पानी पीने को कहते हैं। कोई तैयार नहीं होता। इससे युवक समझ ...