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Taittiriya Upanishad Part 17

Taittiriya Upanishad - Hindi • 16m

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    एक विद्यार्थी ने पूछा कि हम संसार में क्यों हैं। प्रवचन के बाद, स्वामी जी ने उसे सिनेमाहल में ले जाकर समझाया कि संसार भ्रमित करने वाला है, जैसे सिनेमाहल की अंधकार और टॉर्च की लाइट से भ्रम उत्पन्न होता है। उन्होंने बताया कि भगवान प्रकाश स्वरूप हैं और माया के अंधकार में हम अपने असली स्वरूप को भूल ज...

  • Taittiriya Upanishad Part 19

    इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि जीवन को उन्नति की ओर ले जाने के लिए वेदों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। विशेषकर तैत्रि उपनिषद से यह समझा गया कि संसार भगवान की शक्ति का विस्तार और संकुचन है। आनंद भगवान का स्वरूप है, लेकिन माया ने हमें भ्रमित कर रखा है। हम अपने असली स्वरूप को भूलकर शरीर के आ...

  • Taittiriya Upanishad Part 20

    शरणागति का अर्थ है भगवान की इच्छा में समर्पण। शारीरिक और मानसिक समर्पण में अंतर है। वास्तविक शरणागति के छह अंग होते हैं: भगवान की इच्छा में अपनी इच्छा रखना, उनकी विपरीत इच्छाओं का त्याग करना, उनकी रक्षा पर अटूट विश्वास रखना, उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना, अपना सर्वस्व उन्हें अर्पित करना और अंतत...