Taittiriya Upanishad Part 17
Taittiriya Upanishad - Hindi
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ब्रिगू ने अपने पिता वरुण से पूछा कि ब्रह्म क्या है, और तपस्या के माध्यम से अन्न को ब्रह्म माना। अंततः, ब्रिगू ने अनुभव किया कि आनंद ही ब्रह्म है। उपनिषदों के अनुसार, आनंद ही भगवान है, और यह सदा स्थायी और नित्य नव होता है। भगवान आनंद का प्रतीक है, और हर जीव आनंद की खोज में है, इसलिए वास्तव में कोई भी नास्तिक नहीं होता। संसार का आनंद सीमित है, जबकि ब्रह्म का आनंद अनंत और पूर्ण है।
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Taittiriya Upanishad Part 19
इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि जीवन को उन्नति की ओर ले जाने के लिए वेदों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। विशेषकर तैत्रि उपनिषद से यह समझा गया कि संसार भगवान की शक्ति का विस्तार और संकुचन है। आनंद भगवान का स्वरूप है, लेकिन माया ने हमें भ्रमित कर रखा है। हम अपने असली स्वरूप को भूलकर शरीर के आ...
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