Taittiriya Upanishad Part 19
Taittiriya Upanishad - Hindi
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इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि जीवन को उन्नति की ओर ले जाने के लिए वेदों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। विशेषकर तैत्रि उपनिषद से यह समझा गया कि संसार भगवान की शक्ति का विस्तार और संकुचन है। आनंद भगवान का स्वरूप है, लेकिन माया ने हमें भ्रमित कर रखा है। हम अपने असली स्वरूप को भूलकर शरीर के आनंद की खोज में हैं। कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान की शरण में जाना आवश्यक है। भगवान की कृपा केवल शरणागति से प्राप्त होती है, न कि साधन से।
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शरणागति का अर्थ है भगवान की इच्छा में समर्पण। शारीरिक और मानसिक समर्पण में अंतर है। वास्तविक शरणागति के छह अंग होते हैं: भगवान की इच्छा में अपनी इच्छा रखना, उनकी विपरीत इच्छाओं का त्याग करना, उनकी रक्षा पर अटूट विश्वास रखना, उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना, अपना सर्वस्व उन्हें अर्पित करना और अंतत...
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Taittiriya Upanishad Part 21
इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि अध्यात्मिक ज्ञान जीवन में महत्वपूर्ण है, और वेदों से श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त होता है। तैत्री उपनिषद के माध्यम से भगवान के स्वरूप और उनसे जुड़ने की विधि का वर्णन किया गया। शरणागति का महत्व समझाया गया, जिसमें मन, बुद्धि, शरीर आदि को भगवान को समर्पित करने की आवश्यकत...