Taittiriya Upanishad Part 20
          
            Taittiriya Upanishad - Hindi
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    शरणागति का अर्थ है भगवान की इच्छा में समर्पण। शारीरिक और मानसिक समर्पण में अंतर है। वास्तविक शरणागति के छह अंग होते हैं: भगवान की इच्छा में अपनी इच्छा रखना, उनकी विपरीत इच्छाओं का त्याग करना, उनकी रक्षा पर अटूट विश्वास रखना, उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना, अपना सर्वस्व उन्हें अर्पित करना और अंततः उनकी शरण में पूर्णत: समर्पित हो जाना। यह आध्यात्मिक मार्ग भगवान से जुड़े रहने और उनकी कृपा प्राप्त करने का साधन है, जिससे सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है।
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  Taittiriya Upanishad Part 21इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि अध्यात्मिक ज्ञान जीवन में महत्वपूर्ण है, और वेदों से श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त होता है। तैत्री उपनिषद के माध्यम से भगवान के स्वरूप और उनसे जुड़ने की विधि का वर्णन किया गया। शरणागति का महत्व समझाया गया, जिसमें मन, बुद्धि, शरीर आदि को भगवान को समर्पित करने की आवश्यकत... 
