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Taittiriya Upanishad Part 16

Taittiriya Upanishad - Hindi • 16m

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    ब्रिगू ने अपने पिता वरुण से पूछा कि ब्रह्म क्या है, और तपस्या के माध्यम से अन्न को ब्रह्म माना। अंततः, ब्रिगू ने अनुभव किया कि आनंद ही ब्रह्म है। उपनिषदों के अनुसार, आनंद ही भगवान है, और यह सदा स्थायी और नित्य नव होता है। भगवान आनंद का प्रतीक है, और हर जीव आनंद की खोज में है, इसलिए वास्तव में कोई...

  • Taittiriya Upanishad Part 18

    एक विद्यार्थी ने पूछा कि हम संसार में क्यों हैं। प्रवचन के बाद, स्वामी जी ने उसे सिनेमाहल में ले जाकर समझाया कि संसार भ्रमित करने वाला है, जैसे सिनेमाहल की अंधकार और टॉर्च की लाइट से भ्रम उत्पन्न होता है। उन्होंने बताया कि भगवान प्रकाश स्वरूप हैं और माया के अंधकार में हम अपने असली स्वरूप को भूल ज...

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    इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि जीवन को उन्नति की ओर ले जाने के लिए वेदों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। विशेषकर तैत्रि उपनिषद से यह समझा गया कि संसार भगवान की शक्ति का विस्तार और संकुचन है। आनंद भगवान का स्वरूप है, लेकिन माया ने हमें भ्रमित कर रखा है। हम अपने असली स्वरूप को भूलकर शरीर के आ...