Taittiriya Upanishad Part 15
Taittiriya Upanishad - Hindi
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इस व्याख्यान में बताया गया कि संसार की सृष्टि नेचर से स्वतः नहीं होती। मिट्टी से घड़ा बनने के उदाहरण से समझाया गया कि वस्तु निर्माण के लिए ज्ञान, इच्छा, संकल्प, और प्रयास की आवश्यकता होती है। यह भी कहा गया कि नेचर या ब्रह्मा की जगह भगवान का होना आवश्यक है, क्योंकि भगवान ही सृष्टि, प्रबंधन और प्रलय के जिम्मेदार हैं। शब्द प्रमाण (वेदों और उपनिषदों द्वारा) और अनुमान प्रमाण के माध्यम से संसार की सृष्टि की पुष्टि की गई है।
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Taittiriya Upanishad Part 16
इस उपनिषद व्याख्यान में बताया गया कि ज्ञान प्राप्ति से जीवन में निखार, परिवर्तन, और उन्नति होती है। उत्कृष्ट और विश्वसनीय ज्ञान भगवान से प्राप्त होता है, विशेषकर वेदों और उपनिषदों से। तैत्री उपनिषद के माध्यम से यह समझाया गया कि भगवान ही सृष्टि, स्थिति और प्रलय के जिम्मेदार हैं। उपनिषदों में भगवान...
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Taittiriya Upanishad Part 17
ब्रिगू ने अपने पिता वरुण से पूछा कि ब्रह्म क्या है, और तपस्या के माध्यम से अन्न को ब्रह्म माना। अंततः, ब्रिगू ने अनुभव किया कि आनंद ही ब्रह्म है। उपनिषदों के अनुसार, आनंद ही भगवान है, और यह सदा स्थायी और नित्य नव होता है। भगवान आनंद का प्रतीक है, और हर जीव आनंद की खोज में है, इसलिए वास्तव में कोई...
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Taittiriya Upanishad Part 18
एक विद्यार्थी ने पूछा कि हम संसार में क्यों हैं। प्रवचन के बाद, स्वामी जी ने उसे सिनेमाहल में ले जाकर समझाया कि संसार भ्रमित करने वाला है, जैसे सिनेमाहल की अंधकार और टॉर्च की लाइट से भ्रम उत्पन्न होता है। उन्होंने बताया कि भगवान प्रकाश स्वरूप हैं और माया के अंधकार में हम अपने असली स्वरूप को भूल ज...