Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 7
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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भगवान ने जानबूझकर कष्टों वाला संसार बनाया ताकि मनुष्य संतुष्ट न हो जाए और आत्म-विकास करे। दुख का कारण बाहरी नहीं, बल्कि हमारे भीतर अज्ञान, आसक्ति और कामना है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह सिखाया कि कठिन परिस्थितियाँ भी हमारे कल्याण के लिए होती हैं और हमें जीवन में ऊंचाईयों तक पहुँचने में मदद करती हैं।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 8
सुख और दुख हमारी मान्यताओं पर निर्भर होते हैं। जिस वस्तु में हम सुख मानते हैं, उसके जाने से दुख होता है। उदाहरण के रूप में एक व्यक्ति ने सोने की छड़ी पाई और उसे खोने पर दुखी हो गया। जबकि एक साधु, जिसने उस छड़ी में कोई सुख नहीं माना, बिलकुल भी दुखी नहीं हुआ। श्रीकृष्ण कहते हैं, जो ज्ञानी है, वो न ...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 9
शरीर माटी से बना है और माटी में मिल जाएगा। आत्मा अजर-अमर है, जो शरीर से भिन्न है। भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि न आत्मा का जन्म होता है, न मृत्यु। शरीर मिट्टी में बदल जाता है, पर आत्मा सनातन और दिव्य है। योग, साधना और ध्यान से इंसान को यह बोध होता है कि "मैं" शरीर से अलग हूं। भगवान और आत्मा...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 10
जीवन के विभिन्न चरणों में व्यक्ति शरीर बदलता है, जैसे बचपन, युवावस्था, और वृद्धावस्था। श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि इसी तरह आत्मा मृत्यु के बाद नया शरीर धारण करती है, जिसे पुनर्जन्म कहते हैं। शरीर के कोशाणु लगातार बदलते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति वही रहता है। भौतिक विज्ञान भी मानता है कि शरीर हर...