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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 10

Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi • 12m

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    युवावस्था में प्रेम में लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं। पर शादी के बाद कुछ समय में ही रिश्ते में खटास आ जाती है और जीवन बर्बाद लगने लगता है। यह संसार का स्वभाव है; सुख स्थिर नहीं रहता, समय के साथ घटता जाता है और अंततः समाप्त हो जाता है। गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को ...

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    श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि सुख-दुख आते-जाते रहते हैं, जैसे ऋतुएँ बदलती हैं। इंद्रियों के संपर्क से ये अनुभव होते हैं। जो व्यक्ति सुख-दुख से परे हो जाता है, वह भवसागर पार कर जाता है। भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने कौरवों की ओर से युद्ध किया, पर वे सुख-दुख से परे थे। श्रीकृष्...

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    प्रवचन के अनुसार, आत्मा और भगवान अनादि हैं। दोनों का अस्तित्व समय की शुरुआत से पहले है। हम भगवान के अंश हैं, इसलिए आनंद की तलाश हमारी प्रकृति है। संसार के सुख-दुख स्थायी नहीं हैं और आत्मा का सच्चा सुख केवल भगवान से मिलता है। हमें समझना चाहिए कि संसार का सुख हमारे वास्तविक आनंद की पूर्ति नहीं कर स...