Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 13
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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प्रवचन के अनुसार, आत्मा और भगवान अनादि हैं। दोनों का अस्तित्व समय की शुरुआत से पहले है। हम भगवान के अंश हैं, इसलिए आनंद की तलाश हमारी प्रकृति है। संसार के सुख-दुख स्थायी नहीं हैं और आत्मा का सच्चा सुख केवल भगवान से मिलता है। हमें समझना चाहिए कि संसार का सुख हमारे वास्तविक आनंद की पूर्ति नहीं कर सकता।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 14
यह संसार अस्थायी और विचित्र है, जिसमें 300 तत्व परमाणु में हैं, और हमारी आकाशगंगा में अरबों तारे हैं। सत्य और असत्य के बीच का भेद समझने की आवश्यकता है, जैसा श्रीकृष्ण ने कहा। बाहरी संसार अस्थायी है, लेकिन भीतर का संसार मन की कल्पना है, जो असली भ्रम है। भगवान का बनाया संसार सत्य है, लेकिन उसे असत्...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 15
भगवद गीता में पुनरुक्ति (दोहराव) आवश्यक है ताकि ज्ञान अर्जुन के मन में गहराई से बस सके। श्रीकृष्ण आत्मा की अमरता और शरीर की नश्वरता का ज्ञान अर्जुन को बार-बार देते हैं क्योंकि हम अक्सर भूल जाते हैं। पुनरुक्ति शिक्षा की महत्वपूर्ण कला है, जिससे मूल सिद्धांत मस्तिष्क में स्थायी रूप से बैठ जाते हैं।...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 16
मृत्यु का भय सभी को सताता है क्योंकि हम शरीर को आत्मा मानते हैं। श्रीकृष्ण समझाते हैं कि आत्मा अमर है, और मृत्यु केवल शरीर की होती है। मनुष्य और जीव-जंतु जीवन से प्रेम करते हैं, इसलिए मृत्यु का डर बना रहता है। यह भय हमारे आत्मा के सनातन स्वभाव के विपरीत है, क्योंकि हम अपने को शरीर समझने लगते हैं।...