Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 14
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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यह संसार अस्थायी और विचित्र है, जिसमें 300 तत्व परमाणु में हैं, और हमारी आकाशगंगा में अरबों तारे हैं। सत्य और असत्य के बीच का भेद समझने की आवश्यकता है, जैसा श्रीकृष्ण ने कहा। बाहरी संसार अस्थायी है, लेकिन भीतर का संसार मन की कल्पना है, जो असली भ्रम है। भगवान का बनाया संसार सत्य है, लेकिन उसे असत्य नहीं माना जा सकता। सत्य वही है जो सदैव बना रहता है। संसार की अस्थायीता और भीतर के भ्रम को समझने की आवश्यकता है।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 15
भगवद गीता में पुनरुक्ति (दोहराव) आवश्यक है ताकि ज्ञान अर्जुन के मन में गहराई से बस सके। श्रीकृष्ण आत्मा की अमरता और शरीर की नश्वरता का ज्ञान अर्जुन को बार-बार देते हैं क्योंकि हम अक्सर भूल जाते हैं। पुनरुक्ति शिक्षा की महत्वपूर्ण कला है, जिससे मूल सिद्धांत मस्तिष्क में स्थायी रूप से बैठ जाते हैं।...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 16
मृत्यु का भय सभी को सताता है क्योंकि हम शरीर को आत्मा मानते हैं। श्रीकृष्ण समझाते हैं कि आत्मा अमर है, और मृत्यु केवल शरीर की होती है। मनुष्य और जीव-जंतु जीवन से प्रेम करते हैं, इसलिए मृत्यु का डर बना रहता है। यह भय हमारे आत्मा के सनातन स्वभाव के विपरीत है, क्योंकि हम अपने को शरीर समझने लगते हैं।...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 17
श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर। जब आत्मा पुराने वस्त्र त्यागकर नए वस्त्र धारण करती है, इसे ही मृत्यु कहा जाता है। आत्मा का जन्म या मृत्यु नहीं होती, यह केवल शरीर का परिवर्तन है। इसलिए मृत्यु का भय अनावश्यक है, क्योंकि यह केवल शरीर की समाप्ति है, आत्मा की नहीं। आत्मा सद...