Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 17
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर। जब आत्मा पुराने वस्त्र त्यागकर नए वस्त्र धारण करती है, इसे ही मृत्यु कहा जाता है। आत्मा का जन्म या मृत्यु नहीं होती, यह केवल शरीर का परिवर्तन है। इसलिए मृत्यु का भय अनावश्यक है, क्योंकि यह केवल शरीर की समाप्ति है, आत्मा की नहीं। आत्मा सदा स्थिर और अजर-अमर रहती है। श्रीकृष्ण अर्जुन को इस सत्य का बोध कराते हुए उसे जीवन और मृत्यु के भेद को समझने का निर्देश देते हैं।
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आत्मा बुद्धि से परे, अदृश्य और अपरिवर्तनशील है। इसे बुद्धि से समझा नहीं जा सकता क्योंकि आत्मा सूक्ष्म और अचिंत्य है। श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि आत्मा नष्ट नहीं होती, केवल शरीर बदलता है। आत्मा का संबंध माया के अहंकार से होता है, जो उसे शरीर से जोड़ता है। बुद्धि से आत्मतत्व को जानना असंभव है ...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 19
राम ने तारा को समझाया कि बाली का शरीर नश्वर और आत्मा अमर है। हम दुखी इसलिए होते हैं क्योंकि हम खुद और दूसरों को शरीर मानते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं, चाहे आत्मा को न मानो, फिर भी मृत्यु पर शोक नहीं करना चाहिए क्योंकि शरीर मिट्टी से बना है और आत्मा नित्य है। लोग अपने को शरीर मानकर 24 घंटे ...
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तपस्या का अर्थ है दर्द को स्वीकार करना और उसे सहनशीलता से झेलना। प्राचीन ऋषि इसे स्वेच्छा से अपनाते थे, लेकिन भगवान बुढ़ापे के रूप में इसे अनिवार्य बना देते हैं। बुढ़ापा भी एक तपस्या है, जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जैसे मृत्यु निश्चित है, वैसे ही जीवन का अंत भी। मृ...