Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 20
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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तपस्या का अर्थ है दर्द को स्वीकार करना और उसे सहनशीलता से झेलना। प्राचीन ऋषि इसे स्वेच्छा से अपनाते थे, लेकिन भगवान बुढ़ापे के रूप में इसे अनिवार्य बना देते हैं। बुढ़ापा भी एक तपस्या है, जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जैसे मृत्यु निश्चित है, वैसे ही जीवन का अंत भी। मृत्यु और बुढ़ापे को शोक की बजाय स्वाभाविक मानकर सहनशील बनना चाहिए। जीवन की निश्चित घटनाओं को स्वीकार करने में ही सच्ची समझ है।
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