Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 5
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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गुरु शिष्य का संबंध सच्ची शरणागति और बुद्धि के समर्पण से बनता है, न कि केवल मंत्रों से। जब शिष्य संपूर्ण समर्पण करता है, तो गुरु ज्ञान का दीप जलाता है। अर्जुन ने इसी प्रकार श्रीकृष्ण को गुरु मानकर भ्रम और कर्तव्य के प्रति अज्ञान दूर करने की प्रार्थना की। श्रीकृष्ण ने उन्हें ज्ञान देकर मार्गदर्शन किया।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 6
हम सभी सुख चाहते हैं, पर दुख पाते हैं। ज्ञान चाहते हैं, पर अज्ञान नहीं हटता। प्रेम की तलाश में संसार से धोखा मिलता है। यह मानना जरूरी है कि दुख वास्तविकता है। अर्जुन ने भी श्रीकृष्ण से यही कहा कि वह भ्रमित और शोक में डूबा है। श्रीकृष्ण ने ज्ञान देकर उसे सही मार्ग दिखाया।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 7
भगवान ने जानबूझकर कष्टों वाला संसार बनाया ताकि मनुष्य संतुष्ट न हो जाए और आत्म-विकास करे। दुख का कारण बाहरी नहीं, बल्कि हमारे भीतर अज्ञान, आसक्ति और कामना है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह सिखाया कि कठिन परिस्थितियाँ भी हमारे कल्याण के लिए होती हैं और हमें जीवन में ऊंचाईयों तक पहुँचने में मदद करती हैं।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 8
सुख और दुख हमारी मान्यताओं पर निर्भर होते हैं। जिस वस्तु में हम सुख मानते हैं, उसके जाने से दुख होता है। उदाहरण के रूप में एक व्यक्ति ने सोने की छड़ी पाई और उसे खोने पर दुखी हो गया। जबकि एक साधु, जिसने उस छड़ी में कोई सुख नहीं माना, बिलकुल भी दुखी नहीं हुआ। श्रीकृष्ण कहते हैं, जो ज्ञानी है, वो न ...