Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 32
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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आत्मा भगवान का अंश है, न कि संसार का। आत्मा के लिए एकमात्र धर्म भगवान की भक्ति है, जो उसे शारीरिक धर्मों से ऊपर उठाती है। सांसारिक कर्म और धर्म स्वर्ग या भौतिक सुख दे सकते हैं, लेकिन भगवत प्राप्ति के लिए ये आवश्यक नहीं होते। वेद अलग-अलग प्रकार के लोगों के लिए विभिन्न मार्ग बताते हैं, पर भगवत-प्राप्ति की चाह रखने वालों को अध्यात्मिक धर्म की ओर बढ़ना चाहिए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को शारीरिक धर्म छोड़कर भगवत-धर्म अपनाने का उपदेश दिया।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 33
जितनी चिंता संसार के लिए की, उतनी भगवान की भक्ति में करते तो यमराज से मुक्ति मिलती। संसार में लोग कठिन काम कर लेते हैं, पर भगवत प्राप्ति कठिन लगती है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि संसार के भोग और ऐश्वर्य में लिप्त व्यक्ति दृढ़ निश्चय नहीं कर पाता। लेकिन भगवत प्राप्ति की यात्रा, जो आंतरिक होती है, दृढ़ स...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 34
संसार में सुख मानने के भ्रम से हम फँस जाते हैं। सुख न सभी को मिलता है, न सदा के लिए। असली सुख भगवान की भक्ति में है, और जब यह समझ हो जाए कि संसार में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिला, तब साधक संसार को छोड़कर भगवान की ओर बढ़ने का निर्णय कर लेता है। लोग संसार में कठिन कार्य कर लेते हैं, पर भगवत-प्राप...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 35
सभी शास्त्र एक बात सिखाते हैं: भगवान से प्रेम करो, यही मोक्ष का मार्ग है। वेद का लक्ष्य भी भगवान की भक्ति है, जिससे सभी धर्मों का पालन स्वतः हो जाता है। जैसे पेड़ की जड़ में पानी डालने से पूरे पेड़ को पोषण मिलता है, वैसे ही भगवान से प्रेम करने पर सभी कर्तव्य पूर्ण हो जाते हैं। भक्ति के बिना अन्य ...