Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 34
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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संसार में सुख मानने के भ्रम से हम फँस जाते हैं। सुख न सभी को मिलता है, न सदा के लिए। असली सुख भगवान की भक्ति में है, और जब यह समझ हो जाए कि संसार में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिला, तब साधक संसार को छोड़कर भगवान की ओर बढ़ने का निर्णय कर लेता है। लोग संसार में कठिन कार्य कर लेते हैं, पर भगवत-प्राप्ति को कठिन समझते हैं। दृढ़ निश्चय के साथ भगवान की ओर बढ़ना ही सच्चा सुख है
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सभी शास्त्र एक बात सिखाते हैं: भगवान से प्रेम करो, यही मोक्ष का मार्ग है। वेद का लक्ष्य भी भगवान की भक्ति है, जिससे सभी धर्मों का पालन स्वतः हो जाता है। जैसे पेड़ की जड़ में पानी डालने से पूरे पेड़ को पोषण मिलता है, वैसे ही भगवान से प्रेम करने पर सभी कर्तव्य पूर्ण हो जाते हैं। भक्ति के बिना अन्य ...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 36
भगवान जीव को कर्म करने की शक्ति देता है, लेकिन उसका उपयोग जीव पर छोड़ता है। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि कर्म करो, पर फल की इच्छा मत रखो। कर्म का विज्ञान बताकर वे कहते हैं कि भगवान कर्म का प्रेरक है, पर जिम्मेदारी जीव की है। व्यक्ति को आलसी नहीं बनना चाहिए और अपने कर्मों का अभिमान नहीं करना चाह...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 37
हम कर्म करते हैं, लेकिन फल हमारे हाथ में नहीं होता। यदि हम फल को भगवान को समर्पित कर दें, तो अच्छा या बुरा जो भी हो, उसे उनकी इच्छा मानकर स्वीकार कर सकते हैं। यह समझ जरूरी है कि मेहनत हम करते हैं, पर फल भगवान की कृपा से मिलता है। जब जीव समझता है कि वह भगवान का अंश है, तभी यह बुद्धि आती है। जैसे प...