Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 35
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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सभी शास्त्र एक बात सिखाते हैं: भगवान से प्रेम करो, यही मोक्ष का मार्ग है। वेद का लक्ष्य भी भगवान की भक्ति है, जिससे सभी धर्मों का पालन स्वतः हो जाता है। जैसे पेड़ की जड़ में पानी डालने से पूरे पेड़ को पोषण मिलता है, वैसे ही भगवान से प्रेम करने पर सभी कर्तव्य पूर्ण हो जाते हैं। भक्ति के बिना अन्य धर्म पालन व्यर्थ है। कबीर और अन्य संतों ने भी यही संदेश दिया कि प्रेम ही परम ज्ञान है और सब ग्रंथों का सार है।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 36
भगवान जीव को कर्म करने की शक्ति देता है, लेकिन उसका उपयोग जीव पर छोड़ता है। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि कर्म करो, पर फल की इच्छा मत रखो। कर्म का विज्ञान बताकर वे कहते हैं कि भगवान कर्म का प्रेरक है, पर जिम्मेदारी जीव की है। व्यक्ति को आलसी नहीं बनना चाहिए और अपने कर्मों का अभिमान नहीं करना चाह...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 37
हम कर्म करते हैं, लेकिन फल हमारे हाथ में नहीं होता। यदि हम फल को भगवान को समर्पित कर दें, तो अच्छा या बुरा जो भी हो, उसे उनकी इच्छा मानकर स्वीकार कर सकते हैं। यह समझ जरूरी है कि मेहनत हम करते हैं, पर फल भगवान की कृपा से मिलता है। जब जीव समझता है कि वह भगवान का अंश है, तभी यह बुद्धि आती है। जैसे प...
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भगवान से प्रेम करने वाला सभी धर्मों का पालन कर लेता है। श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा, शास्त्रों में बहुत नियम बताए हैं, लेकिन जो उनके गूढ़ रहस्य समझकर मुझसे प्रेम करता है और फल-आसक्ति छोड़ देता है, वह सबसे श्रेष्ठ साधक है। कर्मकांड के नियमों को कचरे की तरह त्यागने वाला व्यक्ति, जिसने भगवान से संबंध ...