Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 28
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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यह कहानी जीवन की नश्वरता और आत्मा के शाश्वत सत्य पर केंद्रित है। एक युवक स्वामी जी से संसार की स्वार्थपूर्ण प्रकृति पर सवाल उठाता है। स्वामी जी एक नाटक रचते हैं जहां युवक मृत होने का नाटक करता है, और उसके प्रियजनों से उसकी जगह मरने के लिए पानी पीने को कहते हैं। कोई तैयार नहीं होता। इससे युवक समझ जाता है कि संसार स्वार्थी है। स्वामी जी बताते हैं कि जीवन अस्थायी है, और रिश्ते भी ट्रेन यात्रा की तरह क्षणिक हैं—हर किसी को अपनी "टिकट" के अनुसार जाना होगा।
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 29
अर्जुन ने गीता सुनकर व्यवसायात्मिक बुद्धि प्राप्त की, लेकिन यह उसकी बुद्धि की शक्ति थी। हम लोगों को इस ज्ञान पर बार-बार चिंतन कर अपनी बुद्धि को दृढ़ बनाना होगा। संसार में कोई भी चीज़ स्थायी नहीं है, अंत में कुछ साथ नहीं जाता। हमारे शास्त्रों के अनुसार, हमें भगवान को अपना सबकुछ मानकर, उनकी शरण में...
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 30
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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 31
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