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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 30

Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi • 19m

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    कलियुग में विभिन्न लोग कर्म, धर्म, उपवास और यम नियम जैसे मार्ग सुझाते हैं, लेकिन भगवान प्राप्ति के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं। ये सब पुण्य कर्म हैं, जिनसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो सकती है, परंतु भगवत प्राप्ति के लिए इनसे ऊपर उठने की आवश्यकता है। श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा कि वेदों का असली उद्देश्य ...

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    आत्मा भगवान का अंश है, न कि संसार का। आत्मा के लिए एकमात्र धर्म भगवान की भक्ति है, जो उसे शारीरिक धर्मों से ऊपर उठाती है। सांसारिक कर्म और धर्म स्वर्ग या भौतिक सुख दे सकते हैं, लेकिन भगवत प्राप्ति के लिए ये आवश्यक नहीं होते। वेद अलग-अलग प्रकार के लोगों के लिए विभिन्न मार्ग बताते हैं, पर भगवत-प्रा...

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    जितनी चिंता संसार के लिए की, उतनी भगवान की भक्ति में करते तो यमराज से मुक्ति मिलती। संसार में लोग कठिन काम कर लेते हैं, पर भगवत प्राप्ति कठिन लगती है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि संसार के भोग और ऐश्वर्य में लिप्त व्यक्ति दृढ़ निश्चय नहीं कर पाता। लेकिन भगवत प्राप्ति की यात्रा, जो आंतरिक होती है, दृढ़ स...