Taittiriya Upanishad Part 1
Taittiriya Upanishad - Hindi
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जैसे कुत्ते से बचने के लिए मालिक की शरण में जाना पड़ा, वैसे ही माया के दुखों से राहत पाने के लिए भगवान की शरण में जाना आवश्यक है। माया हमें आधि-आत्मिक, आधि-भौतिक, और आधि-दैविक दुख देती है, ताकि हम भगवान की ओर बढ़ें। भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए हमें शरणागत होना पड़ता है। शारीरिक योग से अधिक महत्वपूर्ण है मन का योग, जो भगवान से जुड़ने का मार्ग है। इसलिए, शरणागति से ही भगवान की कृपा मिलती है, अन्यथा नहीं।
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Taittiriya Upanishad Part 2
महरशी कपिल ने अपनी माता देवहूती को बताया कि मन के संसार में आसक्त होने से माया का बंधन बना रहता है, जबकि मन के भगवान में लगने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रोता को मन को संसार से हटाकर भगवान में लगाना चाहिए। बुद्धि, मन से ऊपर होती है, और यदि बुद्धि संसार को सुख का स्रोत मानेगी तो मन वहीं आसक्त ...
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Taittiriya Upanishad Part 3
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Taittiriya Upanishad Part 4
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