शरणागति का रहस्य - 19 भक्ति में आगे कैसे बढ़ें
Sharanagati Rahasya - Hindi
•
8m 55s
भगवान की शरणागती में आने वाली तीसरी बाधा अनृत भाव है, यानी अंदर की सच्चाई को छिपाकर बाहर से दिखावा करना। इसे अंग्रेजी में हिपाक्रसी या दम्भ कहते हैं। विभीषण ने लंका छोड़कर भगवान राम की शरण ली और अपनी कमजोरियों को स्वीकार किया, न कि दिखावा किया। हमें भी शरणागती में ईमानदारी और सच्चाई बनाए रखनी चाहिए, न कि बनावट और दम्भ से दूर रहना चाहिए। यही सच्ची शरणागति की राह है।
Up Next in Sharanagati Rahasya - Hindi
-
शरणागति का रहस्य - 20 क्या सब कुछ ई...
संतोष संसार में अच्छा है, लेकिन ईश्वर की उपासना, जप, और स्वाध्याय में संतोष नहीं होना चाहिए। संतोष से उन्नति रुक सकती है। भगवान की माया को पार करने के लिए केवल भगवान पर निर्भर रहना और अपनी जिम्मेदारियों से भागना गलत है। जैसे एक बीज को उगाने के लिए मेहनत की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमें भी अपनी श...
-
शरणागति का रहस्य - 21 आपका भाग्य कि...
हमारे जीवन में भाग्य और कर्म दोनों का महत्व है। भाग्यवादी मानते हैं कि सब कुछ भाग्य से तय होता है, लेकिन यह सही नहीं। भाग्य में जो लिखा है, वही मिलेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास करें। परंतु, कर्म की स्वतंत्रता हमें अपने भाग्य को बदलने की शक्ति देती है। भाग्य और कर्म का संतुलन समझना महत्वपूर्ण है। भ...
-
शरणागति का रहस्य - 22 अच्छा काम तुर...
समय निरंतर बीतता जा रहा है और भगवान ने जो मानव शरीर दिया है, वह भी काल के साथ समाप्त होता जा रहा है। हमें समय की प्रतीक्षा करने के बजाय, मिले हुए समय का उपयोग करना चाहिए। वर्तमान क्षण ही परमात्मा का द्वार है और इसका सही उपयोग करने से कल्याण होता है। विलम्ब करने से हम अच्छे अवसर खो सकते हैं। जैसे ...