शरणागति का रहस्य - 18 आध्यात्म में सरल भाव का महत्त्व
Sharanagati Rahasya - Hindi
•
10m
शरणागति में दूसरी बड़ी बाधा है "जिहमभाव", जिसका मतलब है सरलता का अभाव। जीवन में हमें संसारिक चालाकियां सिखने की आदत हो गई है, जिससे हमारा स्वभाव जटिल हो जाता है। भगवान के क्षेत्र में भोलेपन का महत्व होता है, परन्तु हम अक्सर उनके सामने भी चालाकी दिखाते हैं। सरल और निर्मल हृदय से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, पर चालाकी और कपट के साथ नहीं। हमें अपने बचपन की सरल अवस्था को फिर से प्राप्त करने के लिए जीवन की इन चालाकियों को छोड़ना होगा।
Up Next in Sharanagati Rahasya - Hindi
-
शरणागति का रहस्य - 19 भक्ति में आगे...
भगवान की शरणागती में आने वाली तीसरी बाधा अनृत भाव है, यानी अंदर की सच्चाई को छिपाकर बाहर से दिखावा करना। इसे अंग्रेजी में हिपाक्रसी या दम्भ कहते हैं। विभीषण ने लंका छोड़कर भगवान राम की शरण ली और अपनी कमजोरियों को स्वीकार किया, न कि दिखावा किया। हमें भी शरणागती में ईमानदारी और सच्चाई बनाए रखनी चाह...
-
शरणागति का रहस्य - 20 क्या सब कुछ ई...
संतोष संसार में अच्छा है, लेकिन ईश्वर की उपासना, जप, और स्वाध्याय में संतोष नहीं होना चाहिए। संतोष से उन्नति रुक सकती है। भगवान की माया को पार करने के लिए केवल भगवान पर निर्भर रहना और अपनी जिम्मेदारियों से भागना गलत है। जैसे एक बीज को उगाने के लिए मेहनत की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमें भी अपनी श...
-
शरणागति का रहस्य - 21 आपका भाग्य कि...
हमारे जीवन में भाग्य और कर्म दोनों का महत्व है। भाग्यवादी मानते हैं कि सब कुछ भाग्य से तय होता है, लेकिन यह सही नहीं। भाग्य में जो लिखा है, वही मिलेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास करें। परंतु, कर्म की स्वतंत्रता हमें अपने भाग्य को बदलने की शक्ति देती है। भाग्य और कर्म का संतुलन समझना महत्वपूर्ण है। भ...