Sant Charit - Hindi

Sant Charit - Hindi

भारतीय संतों और दार्शनिकों ने भक्ति, ज्ञान और वेदांत को बढ़ावा देकर समाज को आध्यात्मिक दिशा दी। आदि शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत की स्थापना की और चार मठों की स्थापना की। तुलसीदास जी ने "रामचरितमानस" के माध्यम से भक्ति और आदर्श जीवन का संदेश दिया।रामानुजाचार्य ने विशिष्टाद्वैत वेदांत को प्रचारित किया, जबकि वल्लभाचार्य के शिष्य सूरदास जी ने कृष्णभक्ति में हजारों पदों की रचना की। मीरा बाई कृष्ण प्रेम में लीन रहीं, जबकि संत कबीर, तुकाराम और रविदास ने समाज में धार्मिक पाखंड का विरोध किया और भक्ति का महत्व समझाया।इन सभी संतों की शिक्षाएँ प्रेम, भक्ति और समाज सुधार पर केंद्रित थीं। उनके भजन, अभंग और दोहे आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। इन संतों ने यह सिद्ध किया कि सच्ची भक्ति मन की शुद्धता और ईश्वर के प्रति समर्पण से प्राप्त होती है।

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Sant Charit - Hindi
  • आदि शंकराचार्य जी की जीवनी एवं शिक्षा Adi Shankaracharya's life and teachings

    आदि शंकराचार्य एक महान भारतीय दार्शनिक और संत थे जिन्होंने अद्वैत वेदांत का प्रचार किया। वे केवल आठ वर्ष की आयु में सन्यास लेकर ज्ञान प्राप्ति के लिए निकले और अपनी शिक्षाओं से पूरे भारत को एकसूत्र में बांधने का प्रयास किया। उन्होंने चार मठों की स्थापना की—द्वारका, पुरी, श्रंगेरी और बद्रीनाथ में। ...

  • गोस्वामी तुलसीदास - जीवनी एवं शिक्षा Goswami Tulsidasji's life and teachings

    आपने गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी और उनके योगदान पर सुंदर रूप से विस्तार से बताया। तुलसीदास जी की रामचरित मानस ने भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन और ग्रंथ सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से गहरा प्रभाव डालते हैं। वे केवल कवि नहीं, बल्कि महान संत और भक्त भी थे, ...

  • जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी की जीवनी एवं शिक्षा Ramanujacharya life and teachings

    जगद्गुरु रामानुजाचार्य ने श्रीवैष्णव परंपरा का पुनरुत्थान कर भक्ति और वेदांत का समन्वय किया। उन्होंने अद्वैतवाद का खंडन करते हुए विशिष्टाद्वैत वेदांत की स्थापना की। उनके गुरु यामुनाचार्य की प्रेरणा से उन्होंने श्री भाष्य की रचना की और श्रीरंगम में वेदांत का प्रचार किया। रामानुजाचार्य ने भक्ति को ...

  • भक्त कवि सूरदास - जीवनी एवं शिक्षा। Bhakt Kavi Soordas’s life and teachings

    वल्लभाचार्य के प्रमुख शिष्य आठ थे, जिनमें सूरदास जी भी शामिल थे। सूरदास जी जन्म से अंधे थे, परंतु उनके प्रारंभिक कष्टों ने उनकी आध्यात्मिकता को परिष्कृत किया। वल्लभाचार्य ने उन्हें गोवर्धन लाकर श्रीनाथजी की सेवा में नियुक्त किया। सूरदास जी ने भगवान की लीलाओं का दिव्य अनुभव प्राप्त किया और 50,000 ...

  • मीराबाई - जीवनी एवं शिक्षा। Meerabai's life and teachings

    मीरा बाई, भक्तिकाल की प्रमुख संत थीं, जिन्होंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया। राजस्थान के शाही परिवार में जन्मीं मीरा, बचपन से ही गिरिधर गोपाल की भक्त थीं। उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ आईं, लेकिन वे अपने भक्ति मार्ग से विचलित नहीं हुईं। मीरा के लगभग 1000 भजन उपलब्ध हैं, जिनमें उनकी ...

  • संत कबीर दास - जीवनी एवं शिक्षा। Sant Kabir Das's life and teachings

    संत कबीर दास का जन्म 1440 में हुआ था। उन्होंने सामाजिक पाखंड और धार्मिक आडंबर का कड़ा विरोध किया। उनकी शिक्षाएं प्रेम, भक्ति, और सत्य पर आधारित थीं। कबीर जी ने अपने दोहों और भजनों से समाज को जागरूक किया और जाति-धर्म से ऊपर उठने का संदेश दिया। उनका मानना था कि भगवान की प्राप्ति के लिए सच्ची भक्ति ...

  • संत तुकाराम महाराज - जीवनी एवं शिक्षा Sant Tukaram's life and teachings

    संत तुकाराम का जन्म महाराष्ट्र के देहू में हुआ था। वे भक्ति के माध्यम से समाज में भगवान की कृपा का प्रचार करते थे। उनकी शिक्षाओं में मुख्य रूप से कीर्तन, अंतःकरण की शुद्धि, और भगवान की कृपा को स्वीकार करना शामिल था। तुकाराम विपरीत परिस्थितियों में भी सदा भगवान विठ्ठल की भक्ति में लीन रहते थे। उनक...

  • संत रविदास - जीवनी एवं शिक्षा। Ravidas's life and teachings

    संत रवीदास की जीवनी में उनके अद्भुत भक्ति और जीवन की प्रमुख घटनाएँ वर्णित हैं। रवीदास, जो चमड़े का काम करते थे, ने यह साबित किया कि सच्ची भक्ति मन की शुद्धता से होती है, न कि सामाजिक स्थिति से। उन्होंने भगवान को सर्वव्यापक मानते हुए, मन की शुद्धता पर जोर दिया। उनका जीवन कई घटनाओं से भरा हुआ था, ज...