Kaise ho Sukhi ho Saphal - Hindi
यह विचार दर्शाते हैं कि परम सत्य का ज्ञान बुद्धि से नहीं, बल्कि वेदों और शास्त्रों से प्राप्त होता है। गीता को सर्वोपरि माना गया है, जो आत्मा के अमरत्व और शरीर की नश्वरता का बोध कराती है। पुनर्जन्म केवल शरीर का परिवर्तन है, आत्मा अजर-अमर रहती है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुख-दुख से परे उठकर धर्म के अनुसार कार्य करने का उपदेश दिया।
संसार क्षणिक है और स्थायी सुख केवल भगवान की भक्ति में ही संभव है। वेदव्यास जी के अनुसार, संसारिक संबंध स्वार्थ से जुड़े होते हैं, जबकि सच्चा आनंद केवल भगवान से प्राप्त होता है। धर्म, उपवास और पुण्य कर्म स्वर्गीय फल देते हैं, परंतु मोक्ष केवल भगवत-भक्ति से संभव है।श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म में स्थित रहने और फल की आसक्ति त्यागने का उपदेश दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने सिखाया कि क्रोध पर नियंत्रण आवश्यक है, क्योंकि गुस्से में किया गया कर्म निश्काम नहीं रह जाता। शंकराचार्य ने भगवत-प्राप्ति को ही जीवन का लक्ष्य बताया, अन्यथा जन्म-मरण का चक्र चलता रहेगा।
मन की शुद्धि के लिए साधना आवश्यक है, जैसे शरीर के लिए व्यायाम। आसक्ति, क्रोध, और लोभ मन के रोग हैं, जो पतन की ओर ले जाते हैं। आत्मा की मुक्ति भगवान की कृपा और भक्ति से ही संभव है। सच्ची कृपा का अर्थ आत्म-संतोष और अंतःकरण की शुद्धि है, न कि भौतिक समृद्धि।ज्ञानी सुख-दुख से परे होता है और आत्म-साक्षात्कार से मोक्ष प्राप्त करता है। अंततः भगवान की भक्ति ही वेदों का सार है, जो आत्मा को स्थायी शांति और सच्चे आनंद की ओर ले जाती है।
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तीन चोरों की कहानी कैसे हो सुखी कैसे हो सफल - 7 दिव्य सूत्र भाग 1
भगवान ने हमें जो क्षमताएँ और संभावनाएँ दी हैं, अगर हम उनका सदुपयोग विश्व के कल्याण और भगवान की महिमा में नहीं करते, तो यह अपने आप से सबसे बड़ी चोरी है। इसे कानून की दृष्टि से चोरी नहीं माना जाता, लेकिन इसका गंभीर परिणाम हमें भुगतना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप, दो प्रसिद्ध चोरों ने अपनी अद्भुत क्षमताओं...
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अपनी अनन्त क्षमताओं को पहचाने कैसे हो सुखी कैसे हो सफल - भाग 2
इस प्रवचन श्रृंखला में सात ईश्वरीय नियमों की चर्चा की गई है, जिन्हें समझकर जीवन में आत्मसात करने पर जीवन की समस्याएं हल हो सकती हैं। मनुष्य द्वारा बनाए गए कानून बदलते रहते हैं, जबकि ईश्वर के बनाए कानून शाश्वत होते हैं। आत्मा का असीमित विकास संभव है, जब हम शरीर को नहीं, बल्कि आत्मा को पहचानेंगे। व...
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आप कौन हैं कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - 7 प्रामाणिक दिव्य सूत्र भाग 3
अनित्य और अनात्म के ज्ञान की कमी से मानवता दुख भोगती है। जैसे राम किंकर बैज ने पत्थर में बुद्ध को देखा और अनावश्यकता को निकाला, हमें भी अपनी गलत मान्यताओं को हटाना होगा। शरीर को आत्मा मान लेना विपर्यय है। साइंस और धर्म का टकराव है, पर हमारी आत्मा में स्वतंत्रता है। चूहों का प्रयोग यह दर्शाता है क...
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छोटी छोटी आदतों का बड़ा परिणाम कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - Part 4
सफलता इंस्टेंट नहीं होती; यह क्रमिक उन्नति और निरंतर प्रयास से प्राप्त होती है। मार्केटिंग में किए गए त्वरित सफलता के वादों के विपरीत, जीवन में स्थायी बदलाव धीरे-धीरे, छोटे-छोटे प्रयासों से आते हैं। जैसे एक गरीब व्यक्ति, जिसने 31 दिनों तक अपना धन दोगुना किया, अंत में करोड़ों तक पहुंचा, वैसे ही जी...
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सफलता का रहस्य कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - 7 प्रामाणिक दिव्य सूत्र भाग 5
अर्जुन के मन को चंचल बताने पर, श्रीकृष्ण ने सरल समाधान नहीं दिया, बल्कि अभ्यास और वैराग्य से मन को नियंत्रित करने का तरीका बताया। के. एंडर्स एरिकसन के शोध के अनुसार, विश्व स्तरीय परफॉर्मर्स ने हजारों घंटे अभ्यास किया। यही अभ्यास सफलता की कुंजी है। चाहे संगीत, खेल या ध्यान, अभ्यास से ही महारथ प्रा...
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ध्यान शक्ति से will power को बढ़ायें कैसे हों सुखी कैसे हों सफल -Part 6
विल्पावर (इच्छाशक्ति) सफलता की कुंजी है, जो आत्म-संयम और अनुशासन पर निर्भर करती है। मस्तिष्क का प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स हमें इच्छाओं को नियंत्रित करने और सही निर्णय लेने में मदद करता है। यह क्षमता अभ्यास से बढ़ाई जा सकती है, जैसे गणित या ध्यान से मस्तिष्क के संबंधित हिस्से को विकसित किया जाता है। जि...
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अपने को प्रेरित कैसे करें कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - Part 8
प्रेरणा का विज्ञान समझने में अनेक कारक शामिल हैं। हम जानते हैं कि क्या सही है, लेकिन फिर भी पालन नहीं करते। बुद्धि एक पात्र है, जिसमें ज्ञान भरा होता है। बाहरी प्रेरणा, जैसे प्रमोशन, कुछ व्यक्तियों को प्रेरित करती है, जबकि अन्य को demotivate करती है। आंतरिक प्रेरणा महत्वपूर्ण है; यदि हमें किसी का...
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जीवन में सुखी होने का रहस्य कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - Part 9
हमारा जीवन सुख की खोज में निरंतर प्रयत्नशील है, लेकिन हम अक्सर सुख को गलत जगह ढूंढते हैं। संसारिक भोग या सुख-समृद्धि जैसी वस्तुएं मधुर विष के समान हैं, जो शुरू में सुखद लगती हैं पर बाद में दुःख का कारण बनती हैं। मानव स्वभाव की विभिन्न श्रेणियाँ बताती हैं कि कुछ लोग अपनी हानि करके दूसरों को नुकसान...
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सुख कहाँ है कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - 7 प्रामाणिक दिव्य सूत्र भाग 10
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कामनाओं को कैसे जीतें कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - Part 11
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मन को शुद्ध करने का मंत्र कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - Part 12
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सफलता के लिए mentor की आवश्यकता कैसे हों सुखी कैसे हों सफल -Part 14
वास्तविक गुरू से संग मिलने पर जीवन में वैराज्य और भगवान के प्रति अनुराग बढ़ता है। गुरू ज्ञान और अनुभव से हमें सही मार्ग दिखाते हैं, जैसे एक अनुभवी मेंटर अपने शिष्य को करियर या जीवन में सफल बनाता है। सही मेंटर और गुरू जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करते हैं, जबकि गलत मेंटर या गुरू से सर्व...