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Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi Part 48
Bhagavad Gita Chapter 2 - Hindi
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वैराज्य प्राप्त कर संसार की आसक्ति से मुक्त होकर ब्राह्मी स्थिति, यानी भगवत प्राप्ति की अवस्था होती है। भगवान की कृपा से जीव के संचित कर्म भस्म हो जाते हैं, और वह दिव्य ज्ञान, प्रेम और आनंद से युक्त होकर जीवन मुक्त कहलाता है। यह अवस्था स्थायी होती है, और जीव संसार के दुख-सुख से ऊपर उठ जाता है।