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भगवान में मन का लगाव भगवद गीता अध्याय 10 - भाग 9
Bhagavad Gita Chapter 10 - Hindi
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श्रीकृष्ण गीता के दसवें अध्याय के नौवें श्लोक में बताते हैं कि उनके भक्त पूरी तरह से भगवान में लीन रहते हैं। उनका मन और प्राण भगवान में लगा रहता है, और वे एक-दूसरे के साथ भगवान की चर्चा करते हुए संतुष्ट और आनंदित रहते हैं। उनके व्यवहार, वाणी, और धन का उपयोग यह दिखाता है कि उनका मन भगवान में रमण कर रहा है। जैसे संसार में लोगों का मन अपनी प्रिय वस्तुओं में लगा रहता है, वैसे ही भक्त का मन भगवान में लगा रहता है, जिससे उन्हें दिव्य रस की अनुभूति होती है।