दो प्रकार के ज्ञान भगवद गीता अध्याय 10 - भाग 5
Bhagavad Gita Chapter 10 - Hindi
•
15m
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वह उन्हें प्रिय है और इसलिए उन्हें ज्ञान देंगे ताकि उनकी भक्ति बढ़े। हालांकि, श्रीकृष्ण ने कहा कि कोई भी उन्हें पूरी तरह नहीं जान सकता। इसके बावजूद, जो उन्हें वास्तव में जान लेता है, वह माया से मुक्त होकर परम लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। यहां विरोधाभास प्रतीत होता है, लेकिन इसका अर्थ है कि बाहरी ज्ञान से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुभव से भगवान को जाना जा सकता है। शाब्दिक ज्ञान अहंकार ला सकता है, जबकि सच्चा ज्ञान विनम्रता और भक्ति में प्रकट होता है।
Up Next in Bhagavad Gita Chapter 10 - Hindi
-
क्या भगवद गीता पढ़ने से भगवान मिलेंगे...
इस व्याख्यान का सार यह है कि केवल शास्त्रों का अध्ययन और शाब्दिक ज्ञान प्राप्त कर लेने से अहंकार उत्पन्न हो सकता है, जो आध्यात्मिक उन्नति में बाधक बनता है। वास्तविक ज्ञान वह है जो अनुभव से प्राप्त होता है और विनम्रता उत्पन्न करता है। अहंकार को दूर करने के लिए शाब्दिक ज्ञान आवश्यक है, लेकिन इसे अन...
-
क्या भगवान की इच्छा से ही सब कुछ होता...
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि मनुष्यों में गुण और अवगुण दोनों उनकी शक्ति से प्रकट होते हैं। शांति, अशांति, यश, और अपयश सभी भगवान की प्रेरणा से होते हैं, लेकिन व्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रयास का भी इसमें योगदान होता है। जैसे बीज और परिस्थितियों से पौधा उगता है, वैसे ही मनुष्य के कर्म और ...
-
भगवान हमारे दुःख दूर क्यो नहीं करतें...
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि सप्तऋषि, चार कुमार, और 14 मनु सब भगवान से ही उत्पन्न हुए हैं, और मनु से मानव जाति का प्रकट होना भी भगवान की कृपा है। भगवान को परमपिता मानते हुए, हम उनके ही अंश हैं। एक जीव ने भगवान से पूछा कि अगर आप हमारे पिता हैं, तो हमारी दुखद स्थिति क्यों है? भगवान ने उत्त...