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Taittiriya Upanishad Part 2
19m
महरशी कपिल ने अपनी माता देवहूती को बताया कि मन के संसार में आसक्त होने से माया का बंधन बना रहता है, जबकि मन के भगवान में लगने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रोता को मन को संसार से हटाकर भगवान में लगाना चाहिए। बुद्धि, मन से ऊपर होती है, और यदि बुद्धि संसार को सुख का स्रोत मानेगी तो मन वहीं आसक्त रहेगा। लेकिन जब बुद्धि भगवान में आनंद का निर्णय करेगी, तभी मन भगवान में लग पाएगा और शरणागति संभव होगी।