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Taittiriya Upanishad Part 19
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इस प्रवचन श्रृंखला में बताया गया कि जीवन को उन्नति की ओर ले जाने के लिए वेदों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। विशेषकर तैत्रि उपनिषद से यह समझा गया कि संसार भगवान की शक्ति का विस्तार और संकुचन है। आनंद भगवान का स्वरूप है, लेकिन माया ने हमें भ्रमित कर रखा है। हम अपने असली स्वरूप को भूलकर शरीर के आनंद की खोज में हैं। कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान की शरण में जाना आवश्यक है। भगवान की कृपा केवल शरणागति से प्राप्त होती है, न कि साधन से।