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Ram Katha - Part 1 - Why is Ramayan called Ramcharitmanas
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राम चरित मानस एक अनंत कथा है, जो कभी समाप्त नहीं होती। इसे साहित्यकार विभिन्न वारताओं के माध्यम से समझाते हैं, लेकिन ये वारताएं कथा का अंत नहीं दर्शातीं। तुलसीदास जी ने इसे विक्रम संवत 1631 में प्रारंभ किया, लेकिन समाप्ति का उल्लेख नहीं किया। इसे कल्पवृक्ष के समान बताया गया है, जिसमें सात कांड हैं। बालकांड जड़ है, आयोध्या कांड ठोढ़, आरण्य कांड शाखाएं, किशकिंधा कांड पत्ते, सुंदर कांड फूल, लंका कांड फल और उत्तर कांड रस। यह जीवन की गहराई और सौंदर्य को दर्शाता है।