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शरणागति का रहस्य - 7 कृतज्ञता का भाव
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जब भगवान हमें सुख, सफलता और स्वास्थ्य देते हैं, तो हम शिकायत नहीं करते, पर जब हमारे कर्मों के अनुसार दुख मिलता है, तो शिकायत करते हैं। यह नकारात्मक विचार शरणागति में बाधा है। शरणागति के लिए हमें भगवान की इच्छा को बिना विरोध के स्वीकार करना चाहिए। हमें उनके अनुकूल संकल्प रखना चाहिए और विपरीत संकल्प नहीं रखना चाहिए। तीन आवश्यक शर्तें हैं—उनकी कृपा की प्रतीक्षा, प्रारब्ध को स्वीकारना, और मन, वाणी, शरीर से भगवान का नमन। इससे भगवान की भक्ति स्वाभाविक रूप से मिलती है।