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सुख कहाँ है कैसे हों सुखी कैसे हों सफल - 7 प्रामाणिक दिव्य सूत्र भाग 10
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संसारिक सुख क्षणिक होता है और हमारी आत्मा सच्चा, स्थायी सुख चाहती है, जो परमात्मा में ही पाया जा सकता है। बाहरी भौतिक सुख सीमित हैं और तृप्ति नहीं देते। सच्चा सुख अंतःकरण की शुद्धता से आता है, जिसे हम भीतर की यात्रा से प्राप्त कर सकते हैं। हर प्रकार की बाहरी भौतिक वस्तुओं या उपलब्धियों से सुख क्षणिक होता है, लेकिन आत्मा का सुख अनंत, सनातन और सदा ताजगी देने वाला होता है। अपने मन और आत्मा की शुद्धता से ही हम वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकते हैं।