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दोष देखना बंद करें । विकास के सूत्र भाग 5
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हमारे दुखों का कारण संसार नहीं, बल्कि हमारा अनियंत्रित मन और भावनाएं हैं। हम बाहर की दुनिया को दोष देते हैं, लेकिन असल समस्या हमारे अंदर होती है। सोचने और अपने मन को शुद्ध करने की आवश्यकता है। आत्मनिरीक्षण करें और बाहरी चीजों को दोष न दें। काम, क्रोध, लोभ और मोह हमारे असली शत्रु हैं। दुनिया जैसी है, वैसी ही सही है, असल सुधार हमें अपने भीतर लाना है। हमें अपनी भावनाओं और विचारों को नियंत्रित करने की कला सीखनी होगी।