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मनुष्य का लक्ष्य - श्रीमद भागवतम भाग 4
1h 42m
मनुष्य जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि ईश्वर की भक्ति और आत्मज्ञान प्राप्त करना है। संसारिक मोह माया, भोग-विलास, और लोभ-लालच अंततः दुख का कारण बनते हैं। विदुर और मैत्रेय संवाद में भगवान की भक्ति के महत्व को समझाया गया है। प्रियव्रत और उनके वंशजों की कथा द्वारा यह दर्शाया गया कि भक्ति, तपस्या और धर्म से ही आत्मा का कल्याण होता है। संसारिक जीवन त्यागकर भगवान की शरण में जाने का महत्व, विशेषकर वृद्धावस्था में, स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है