Live stream preview
शरणागति का रहस्य - 23 क्या संकल्प भाग्य को बदल सकता है
10m
हमें अपनी तुष्टियों को छोड़कर सच्ची शरणागति अपनानी चाहिए। सच्ची शरणागति का मतलब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि पूरे मन और आत्मा से भगवान के प्रति समर्पण होना चाहिए। साथ ही, आत्म निरीक्षण कर हमें अपनी त्रुटियों को पहचानना और उन्हें सुधारने के लिए परिश्रम करना जरूरी है। H.W. Longfellow ने कहा था, "वर्तमान में क्रियाशील रहें।" भगवान की कृपा और जीव के प्रयास से ही दुर्गम लक्ष्यों की प्राप्ति संभव होती है। श्रीकृष्ण ने गीता में भी चार प्रकार के लोगों का वर्णन किया, जो सच्ची शरणागति में बाधक होते हैं।