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शरणागति का रहस्य - 19 भक्ति में आगे कैसे बढ़ें
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भगवान की शरणागती में आने वाली तीसरी बाधा अनृत भाव है, यानी अंदर की सच्चाई को छिपाकर बाहर से दिखावा करना। इसे अंग्रेजी में हिपाक्रसी या दम्भ कहते हैं। विभीषण ने लंका छोड़कर भगवान राम की शरण ली और अपनी कमजोरियों को स्वीकार किया, न कि दिखावा किया। हमें भी शरणागती में ईमानदारी और सच्चाई बनाए रखनी चाहिए, न कि बनावट और दम्भ से दूर रहना चाहिए। यही सच्ची शरणागति की राह है।