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सोच जैसा जीवन वैसा । विकास के सूत्र भाग 11
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भारत में अरबपतियों की संख्या पिछले सत्तर वर्षों में एक हजार गुना बढ़ गई है, लेकिन सुखी व्यक्तियों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ। यह साबित करता है कि भौतिक वस्तुएं सच्चे आनंद का स्रोत नहीं हैं। उदाहरण के लिए, एल्विस प्रेसली भौतिक दृष्टि से सफल था, लेकिन ड्रग्स के कारण दुखी था। इसके विपरीत, हेलन केलर ने कठिनाइयों के बावजूद जीवन को सफल बनाया और आनंद पाया। यह दर्शाता है कि सच्चा आनंद बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि भीतर होता है।