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क्या भगवान की इच्छा से ही सब कुछ होता है भगवद गीता अध्याय 10 - भाग 7
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भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि मनुष्यों में गुण और अवगुण दोनों उनकी शक्ति से प्रकट होते हैं। शांति, अशांति, यश, और अपयश सभी भगवान की प्रेरणा से होते हैं, लेकिन व्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रयास का भी इसमें योगदान होता है। जैसे बीज और परिस्थितियों से पौधा उगता है, वैसे ही मनुष्य के कर्म और स्वभाव भी भगवान की दी हुई शक्ति और उसकी अपनी स्वतंत्रता से प्रकट होते हैं। भगवान सभी को समान शक्ति देते हैं, लेकिन उसका उपयोग व्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्भर करता है।